History of Rajdoot ( राजदूत का इतिहास )
आज के ब्लॉग में हम उस बाइक के बारे में जानेंगे जो कि नाम से ही काफी मशहूर था
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| History of Rajdoot |
भारत में जब भी मजबूत बाइक की बात होती है तो राजदूत का नाम जरूर आता
है यह कोई आम बाइक नहीं थी यह भारत में पहली स्पोर्ट्स बाइक मानी जाती थी इसने
लोगों को बताया की रफ्तार क्या चीज होती है जहां भारत में सब रॉयल इनफील्ड के पीछे
भाग रहे थे उस समय राजदूत मार्केट में आ करके उसे कड़ी टक्कर देना शुरू कर दिया था
यह वह बाइक थी जिसे शहर और गांव दोनों जगह के लोग पसंद करते थे ऐसा इसलिए था कि यह
बाइक हर जगह चलने में सक्षम थी और तेज होने के साथ-साथ माइलेज में भी बुलेट से आगे
थी हालांकि आजकल इस दमदार बाइक को देखने नहीं मिलता तो क्यों नहीं आज इस बाइक के
बारे में जान आ जाए कि भारत में आम लोगों की स्पोर्ट बाइक कैसे बनी
- राजदूत कब बनी थी ?
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राजदूत की शुरुआत सन 1962 ईस्वी में जब
एसगॉड नाम की एक कंपनी ने एक पुलिस बाइक को राजदूत के नाम से बनाना शुरू किया, यह 175 सीसी की बाइक थी
- शुरुवाती समय में क्या – क्या परिशानियाँ आयीं
·
शुरुआत में जब यह आई तो मार्केट में इसे जगह
बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि भारत में पहले ही बुलेट ने अपना कब्जा जमा
रखा था हालांकि यह बाइक बाकी बाइक से बहुत ज्यादा एडवांस थी मगर इसे ज्यादा ग्राहक
नहीं मिल रही थी
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- कैसे पोपुलर हुयी ये बाइक
·
कुछ सालों तक राजदूत मार्केट में अपनी पहचान
बनाने के लिए तरसती रही इसे असली पहचान तब मिली जब 1973 ईस्वी में आई
फिल्म बॉबी में ऋषि कपूर के ने चलाया पर वह फिल्म फ्लॉप हो गई थी पर उस फिल्म ने
राजदूत को हिट कर दिया
· के आने के बाद तो राजदूत मानो दिन ही बदल गए लोग ऋषि कपूर की तरह या बाइक भी पसंद करने लगे और देखते ही देखते मार्केट में राजदूत की डिमांड बढ़ने लगी
· अच्छी लोकप्रियता के बाद भी राजदूत बहुत बड़ी हिट नहीं बन पाई
· 1983 आते-आते यह ओल्ड फैशन बाइक बन गई और उसी साल इसे बंद कर दिया गया कंपनी समझ गई कि ग्राहक कुछ और चाहते हैं इसलिए ग्राहकों को उसी अच्छी बाइक देनी होगी
· 1983 ईस्वी में एक्स गॉड ग्रुप में यामाहा से गठबंधन कर लिया उन्होंने मिलकर आई दूध को नहीं बाइक निकाली जो अब 350cc इंजन के साथ बनाया गया यही वक्त था जब यह बाइक हर किसी को भाने लगी
· यह बाइक मजबूत के साथ-साथ काफी हल्की थी और बुलेट के मुकाबले काफी कम पेट्रोल लेती थी यही कारण था कि शहर ही नहीं गांवों में भी राजदूत को पसंद किया जाने लगा
· राजदूत 350 सीसी इंजन बहुत दमदार था इसमें छह गियर थी और इसकी अधिकतम स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज रफ्तार बाइक के कारण यह बाइक युवाओं के दिलों की धड़कन बन गई
· माना जाता है कि एक समय में राजदूत इतनी प्रसिद्ध हो गई थी कि इसके मामले में और कोई बाइक इसके मुकाबले कुछ भी नहीं थी
· राजदूत की खासियत थी कि यह बाइक गांव के कच्चे रास्तों पर भी बहुत अच्छे से चलाया चला करती थी इसमें पेट्रोल भी कम लगता था इसलिए यह किफायती भी थी
· यही कारण बना कि भारत सरकार ने एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट को यह बाइक दी जिससे वह आराम से गांव में दूर-दूर तक जा सकते थे
· के आने के बाद तो राजदूत मानो दिन ही बदल गए लोग ऋषि कपूर की तरह या बाइक भी पसंद करने लगे और देखते ही देखते मार्केट में राजदूत की डिमांड बढ़ने लगी
· अच्छी लोकप्रियता के बाद भी राजदूत बहुत बड़ी हिट नहीं बन पाई
· 1983 आते-आते यह ओल्ड फैशन बाइक बन गई और उसी साल इसे बंद कर दिया गया कंपनी समझ गई कि ग्राहक कुछ और चाहते हैं इसलिए ग्राहकों को उसी अच्छी बाइक देनी होगी
· 1983 ईस्वी में एक्स गॉड ग्रुप में यामाहा से गठबंधन कर लिया उन्होंने मिलकर आई दूध को नहीं बाइक निकाली जो अब 350cc इंजन के साथ बनाया गया यही वक्त था जब यह बाइक हर किसी को भाने लगी
· यह बाइक मजबूत के साथ-साथ काफी हल्की थी और बुलेट के मुकाबले काफी कम पेट्रोल लेती थी यही कारण था कि शहर ही नहीं गांवों में भी राजदूत को पसंद किया जाने लगा
· राजदूत 350 सीसी इंजन बहुत दमदार था इसमें छह गियर थी और इसकी अधिकतम स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज रफ्तार बाइक के कारण यह बाइक युवाओं के दिलों की धड़कन बन गई
· माना जाता है कि एक समय में राजदूत इतनी प्रसिद्ध हो गई थी कि इसके मामले में और कोई बाइक इसके मुकाबले कुछ भी नहीं थी
· राजदूत की खासियत थी कि यह बाइक गांव के कच्चे रास्तों पर भी बहुत अच्छे से चलाया चला करती थी इसमें पेट्रोल भी कम लगता था इसलिए यह किफायती भी थी
· यही कारण बना कि भारत सरकार ने एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट को यह बाइक दी जिससे वह आराम से गांव में दूर-दूर तक जा सकते थे
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| Rajdoot 350 cc |
- राजदूत का पतन
·
1980 से 1990 के समय में
भारत के मार्केट में राजदूत ने खूब नाम कमाया हजारों बाइक बेची गई सब ठीक-ठाक चल
रहा था तभी जमाने में नई तकनीक की बाइक आने लगी
·
यह नई बाइक ज्यादा सस्ती और किफायती भी थी
राजदूत बहुत समय से अपनी बाइक में नई टेक्नोलॉजी नहीं लाई थी और यही राजदूत के
असली पतन का कारण बनी
·
राजदूत वक्त के साथ ओल्ड फैशन भी होती गई इसके
पार्ट्स भी काफी मांगे थे जिस कारण आम लोगों के लिए बनिया बाइक आम लोगों के बजट से
बाहर होने लगी
·
इसकी लोकप्रियता खत्म होने लगी यही कारण है कि 1990 के
अंत तक इस बाइक का पतन शुरू हो गया
·
प्रोडक्शन के कमी के कारण कंपनी ने इसे बंद
करने का निर्णय लिया
·
साल 1991 में आखिरी
राजदूत बेची गई
भले ही राजदूत अभी कबाड़ में दिखाई देती
है पर बहुत से लोगों ने इसके जरिए ही अपनी शुरुआत की
भारतीय
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने भी अपनी पहली बाइक राजदूत राजदूत के तौर पर ही
खरीदी थी तब तक इस का जमाना चला गया था पर यह बाइक उनके दिल के करीब था इसलिए यह
बाइक उन्होंने खरीदी
·
राजदूत आजकल एक इतिहास बन चुका है



