विजय सुपर ( VIJAY SUPER )
विजय सुपर मार्क वन लैंब्रेटा जीपी इटली से हिंदुस्तान तक 70 से 80 के दशक में लोगों के दिलजीत लिए जिसका स्टाइल आज भी किसी स्कूटर से कम नहीं है उसका दमदार 150 सीसी इंजन बीएचपी आज भी दमदार बनाता है चाहे किसी परिवार को अपने रास्ते ले जाया जाए या किसी कॉलेज स्टूडेंट को लेट चले जाए विजय सुपर बहुत लोगों की कहानियों में बसी है
1. लोगों के दिलों में जगह 2. कैसे पड़ी इसका नाम 3. क्यों इसे आज भी लोग चाहते हैं
आइए नजर डालते हैं इसके निराले इतिहास पर :-
द स्टोरी ऑफ विजय सुपर ( The Story of VIJAY SUPER )
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| VIJAY SUPER |
- विजय सुपर का जन्म 1947 में इटली के मशहूर शहर और दुनिया के फैशन कैपिटल मिनाल में हुआ उस समय हमारा देश अंग्रेजों से स्वतंत्र होने वाला था और उसी साल फेरना दो इनोसेंटी नाम के व्यापारी ने इनोसेंटी नाम की एक कंपनी का अनावरण किया
- 1947 में इटली वर्ल्ड वार 2 में हुए विनाश से अभी तक नहीं उबर पाया था और इटली के लोगों को एक सस्ती और टिकाऊ गाड़ी की जरूरत थी यह वह वक्त था जब इटली में वेस्पा नाम की एक स्कूटर बहुत चल रही थी इस कंपटीशन में कोई और गाड़ी नहीं थी इस नई उमरी मार्केट को देखते हुए फर्नांडो इनोसेंटी नया स्कूटर डिजाइन लाने का सोचा इस नए डिजाइन को बनाने के लिए उन्होंने इटालियन एयरोनॉटिक इंजीनियर को 1 दिनों डी सेना की मदद ली

LAMBRITA - OLD
- फर्नांडो का गोल था ऐसी गाड़ी बनाने का जो भरोसेमंद के साथ साथ बेहतरीन स्टाइल और पावर का कंबीनेशन दे पाए गोवा दिनों जिसको मोटरसाइकिल पसंद नहीं थी उन्होंने इस डिजाइन को छोटे पैसे दे दिए और हल्की कर रखा ताकि इस गाड़ी को पुरुष और महिला दोनों चला सके
- इस डिजाइन को 1948 में कोर्ट नेम दिया गया 125m और फर्नांडो इनोसेंटी ने यह गाड़ी का डिजाइन अपनी फैक्ट्री में एक्सेप्ट कर लिया एक नए नाम से लैंब्रेटा 125 एम ए क्योंकि जिस इलाके में इनोसेंटी की फैक्ट्री थी वहां का नाम लैंब्रेटा था जोली मान में लैंब्रा के नदी के पास पाई जाती थी
- यह गाड़ी इटली में बड़ी सक्सेस बनी और अपनी कम कीमत की वजह से भारी मात्रा में बिक्री जैसे-जैसे साल बीतते गए लैंब्रेटा स्कूटर भी अपने जाने पहचाने रूप में आती नजर आई
- लैंब्रेटा एल आई टी के लॉन्च में इटली को दीवाना बना दिया इसकी बेहतरीन स्टाइल की वजह से इसको कई लोगों ने अपनाया
- लैंब्रेटा एक आम स्कूटर से स्टाइल आइकन बन चुकी थी लेकिन 70 के दशक में इटली अब आर्थिक मंदी से बाहर आ चुका था कार सेल बढ़ रही थी और लैंब्रेटा की सेल अब काफी कम हो चुकी थी
- 1950 के दशक में ऑटोमोबिल प्रोडक्ट्स ऑफ़ इंडिया एपीआई में इनोसेंटी से प्रोडक्शन लाइसेंस लेकर कई लैंब्रेटा मॉडल इंडिया में बनाना शुरू कर दिया जिसमें से 1916 के दशक में लैंब्रेटा एल आई 150 मॉडल काफी पॉपुलर साबित हुआ इस मॉडल को एपीआई ने 1947 तक बेचा पर 1976 में थोड़े बदलाव किया गया और कानूनी कारणों की वजह से इसका नाम लैंब्रेटा से लंबी 150 रख दिया गया

LAMBRITA ( VIJAY SUPER )
- 1975 में लखनऊ में स्थित स्कूटर इंडिया लिमिटेड ने लैंब्रेटा का प्रोडक्शन राइट उसके ट्रेडमार्क और उसकी फैक्ट्री और मशीन खरीद लिए इन मशीनों को जब शैली में लखनऊ में सेट करा तो मशीनों के साथ-साथ कई पुराने इनोसेंटी कामगारों को भी कार्य में लगाया गया क्योंकि उन मशीनों के इंस्ट्रक्शन इटालियन में लिखे गए थे
- इसे नए प्लांट से बनकर जो स्कूटर बाहर आई इसका नाम विजय सुपर रखा गया क्योंकि 1971 में हमारे भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को 1971 indo-pak युद्ध में हराकर विजय हासिल करी थी इसलिए इस बहादुर स्कूटर को विजय सुपर के नाम से और एक्सपोर्ट मार्केट में जीपी 150 के नाम से बेचा गया
- 1980 के दशक तक 50000 विजय सुपर स्कूटर बेचा गया जो काफी अच्छी सेल थी उस टाइम विजय सुपर को और नाम से भी बेचा गया
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| LAMBRITA - OLD |
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| LAMBRITA ( VIJAY SUPER ) |
ऑल इन वन पुष्पक
टेलकन
केसरी मॉडल



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